लास्ट फ्लाइट
एयर इंडिया की आखरी फ्लाइट रात डेढ़ बजे छूटनी थी, काका और काकू एयर पोर्ट के वेटिंग एरीना में बैठे थे ।
राजू, उनका इकलौता बेटा, एक्सिस लगेज तुलवाने, चेक इन् करने सब सूट केसेस ट्राली पर लाद कर, 'अभी काफी समय है सेक्युर्टी चेक मे, आप यहीं बैठना, मै अभी आता हूँ, ' बोल कर गया था ....उसी की राह देख रहे थे ।
…… 6 बड़े और नए सूट केसेस थे, मानो उनके जीवन भर की पूंजी । अब बस अमेरिका में ही रहना है , सो यहाँ शहर का सब समेट दिया ।
इत्मीनान था दिल मे । उन दोनों को झपकी आने लगी थी .....और सपने भी ....वाह, हम अब अमेरिका जाएंगे, बेटे , बहु , पोता , पोती के पास , हमेशा के लिए ?
एक महीने पहले ही तो राजू का फ़ोन आया था और काका, और काकू को विश्वास ही नही हो रहा था। आखिर , बेटे ने फ़ोन पे वह बात कह ही दी जिसका उन्हें सालों से इंतज़ार था
..."मै आ कर आपका वीसा करवाता हूँ , छोटा शहर है, अकेले पड़े रहते हो, इतनी बडी प्रॉपर्टी है, झाड़ू तक तो रोज़ लग नही पा रही, मुझे भी टेंशन ही रहता है, दोनों 80 पार हो, तबियत ऊपर नीचे होती ही रहती है। आप सब बेंच बांच दो, मैं आप दोनों को लेने आ रहा हूँ । बहुत हो गया काम, अब बाकी का समय मस्त अमेरिका, यूरोप घूमते हुए बिताइए । "
फिर क्या था, काका काकू ने आनन फानन में अपनी इकलौती घर की ज़ायज़ाद , स्कूटर, कार, फर्नीचर, किचन के एप्लायंसेज , पर्दे, गद्दे, सब कुछ जो मिला उस दाम में बेंचा, थोड़े बहुत शेयर्स थे वो भी बेंच दिये, लाकर भी सरेंडर कर दिया, अपने सारे फिक्स्ड डिपाजिट, सेविंग्स डिपॉजिट्स के पैसे भी, सब बेटे के बताए बैंक के खाते में जमा करा दिए। सोचा अब यहां से हमेशा के लिए जाना है तो क्यों झंझट पीछे छोड़ना ।
घर की चाबी नए मालिक को दी, गणपति को नमस्कार किया, गली मोहल्ले वालों की भरी आँखों और रुंधे गले से बिदाई ली, और आखरी बार अपने उस घर को जी भर के नज़रो में कैद किया और चल पड़े थे सात समुंदर पार की यात्रा पर ।
"........ ......सर्, मैडम, उठिए प्लीज , कौनसी फ्लाइट है ?." .... काका काकू को एयर पोर्ट की सिक्योरटी वाले ने उठाया । दोनों हड़बड़ा के उठे, बोले कि डेड बजे की एयर इंडिया, न्यू यॉर्क .....।
"सर, चार बज रहे है, आपकी फ्लाइट तो चली गयी । "
"ये क्या कह रहे हैं ? फ्लाइट चली गयी ? ऐसे कैसे हो सकता है?? हमारा बेटा ले जा रहा है साथ हमे । हमे यहां रुकने को बोल के गया है सामान लोड करवाने , टिकट, वीसा, पासपोर्ट , पैसे सब उसी के पास है । आप उसी से बात करो, आता होगा अभी ।"
"क्या नाम है आपके बेटे का ?"
"राजेश पोतदार , आप उसे ढूंढिए प्लीज !!"
"वेट प्लीज , अभी आया "..कह कर सिक्योरिटी वाला एयर इंडिया के ऑफिस में चला गया ।
"सर , मैडम !! राजेश पोतदार का अकेले का ही टिकट खरीदा गया था उस फ्लाइट में । फ्लाइट अपने टाइम से चली गयी और आपका बेटा भी , अब आप लोग भी अपने घर जाएं , वेटिंग हॉल टेक्निकल रीज़न से दो घंटे बंद रहेगा । कृपया सहयोग करें ।"
"घर ? आखरी फ्लाइट चली गयी........... सब कुछ ले कर ????......"
निरंजन धुलेकर।
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