अम्मा

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इलाहाबाद के कुंभ मेले में हजारों की भीड़ में मुन्ना मुन्ना कहते एक विधवा वृद्ध औरत पागलों की तरह इधर उधर दौड़े जा रही थी। वहां उसकी कौन सुनने वाला था, सबको संगम में नहा के पुण्य कमाने की जो पड़ी थी। भीड़ और शोर में मानों उसकी आवाज़ कहीं गुम हो जा रही थी। उसने लोगों का हाथ पकड़ पकड़कर पूंछना शुरू कर दिया, लाल रंग की चेक की शर्ट में मेरे मुन्ना को कहीं देखा है? लेकिन लोग ना में सिर हिलाकर आगे बढ़ जाते। किसी को संगम में स्नान करके पुण्य कमाने थे तो किसी को अपने किए पापों का कर्ज स्नान करके एक झटके में उतारना था लेकिन उस मां को यकीन था हजारों की इस भीड़ में कोई उसकी ये आवाज सुने या ना सुने पर उसका बेटा जरूर सुन लेगा। वो भी तो कहीं मां मां कहता घूम रहा होगा शायद वो ही बेटे की आवाज सुन ले। 

अब तो सूरज भी डूबने को था। थकहार के वो बूढ़ी औरत एक किनारे बैठ गई। जैसे जैसे दिन का प्रकाश कम हो रहा था उसकी हिम्मत भी टूटती जा रही थी। एक बार फिर उसने जमीन का सहारा लेकर उठने की कोशिश कि की एक साधु ने उस वृद्ध को हाथ देकर उठाया। वो एक बार फिर से अपनी पूरी शक्ति लगाकर मुन्ना मुन्ना पुकारने लगी। बचपन में तो मेरी आहट सुनते ही मेरा मुन्ना भागा चला आता है, आज इस भीड़ में कहां खो गया मेरा मुन्ना। मेरा मुन्ना ठीक तो होगा? कहीं कुछ हो तो नहीं गया? अनगिनत सवाल उस मां को परेशान कर रहे थे। 

क्या हुआ अम्मा? एक आदमी ने परेशान सी नजर आ रही उस मां से पूंछा 

अम्मा - मेरा मुन्ना मुझसे बिछड़ गया 

आदमी - उसकी उम्र कितनी है? 

अम्मा - 45 साल 

आदमी - तो आप घबराओ नहीं वो मिल जाएगा। आप दायं जाना, वहां पुलिस कैंप लगा होगा, उन्हें बता देना वो आपके बेटे का नाम लाउडस्पीकर पर बुलवा देंगे। 

मेरा बेटा मुझे मिल जाएगा ये बुदबुदाते हुए वो मां पुलिस कैंप की ओर तेजी से अपने कदम बढ़ाने लगी। मेले की भीडभाड़ में मानों उसे दिशा का कोई भान ही नहीं रहा। किसी तरह लोगों से पूछ पूछ कर वो कैंप तक पहुंची। 

अम्मा - मेरा बेटा खो गया है हांफते हुए उसने कहा। (उसका शरीर ऐसे कांप रहा था जैसे सूखे पत्ते को जरा सी हवा हिला देती है।) 

पुलिस वाला - बैठो अम्मा पहले थोड़ा पानी पी लो। 

उस बूढ़ी औरत ने पानी पीया, तेज सांस भरी और बोली - “बेटा, मेरे बच्चे को ढूंढ दो इस भीड़ में कहीं खो गया है।“ 

पुलिस वाला - अपने बेटे का नाम और उम्र बताओ अम्मा, कितनी देर पहले खोया? 

अम्मा - बेटा उसका नाम मुकुल रहा पर घर में सब उसे मुन्ना बुलाते हैं। 45 साल का है मेरा मुन्ना। कितनी देर पहले गुम हो गया ये तो नही बता सकती पर करीब 3 घंटे हो गए होंगे। मुझे खड़ा करके कुछ सामान लेने गया था पर लौट के वापस नही आया। मेरे बेटे से मुझे मिलवा दो बच्चा। 

जो पुलिस वाला सारी जानकारी लिख रहा था और जो उसके पास खड़ा था दोनों ने एक दूसरे को आंखों ही आंखों में कुछ कहा जिसे वो बुढ़िया नहीं समझ पाई। 

पुलिस वाला - अम्मा कौन से गांव से हो? 

अम्मा - ललितपुर के पास बमरोला गांव 

पुलिस वाला - हां अम्मा आप बैठ जाओ, हम भोंपू पर बोल देते है, आपका बेटा आ जायेगा। 

लाउडस्पीकर से एनाउंस किया गया बमरोला गांव के मुकुल की मां उसका कैंप नंबर 5 में इंतजार कर रही हैं जहां भी हो जल्दी आए। कई बार ऐसी घोषणा की गई। 

वो वृद्ध औरत कैंप में बैठकर इंतजार करने लगी। एक डेढ़ घंटा और बीत गया लेकिन उसका बेटा नहीं आया। 

दोनों पुलिस वाले कैंप के बाहर खड़े थे। वो चिंतित बुढ़िया उनसे कुछ पुछने के लिए गई। वो आपस में बात कर रहे थे उन्हें आभास नहीं हुआ की वो बुढ़िया उनके पीछे खड़ी है। उनकी बातें सुनकर उसका दिल बैठ गया और बिना कुछ पुछे वो कैंप में आकर बैठ गई। 

नहीं मेरा लल्ला ऐसा नहीं कर सकता। जो बचपन में हमेशा मेरी उंगली पकड़े रहता था कहीं मेले की भीड़ में वो खो ना जाए, वो मुझे इस भीड़ में अकेला छोड़कर नहीं जा सकता। जहां उसका दिल उसे ऐसी दिलासाएं दे रहा था वहीं उसका दिमाग कुछ और कह रहा था। मुझे क्यों नहीं समझ में आया जो बेटा पिछले 6 महीने से मेरा एक चश्मा नहीं बनवा पा रहा है वो अचानक कुंभ के मेले में क्यों ले आया? मेरे जाते समय मेरी बहू खुश क्यों थी? उससे तो देर सबेर कभी भूख लग जाए तो खाना मांगने में भी डर लगता था। जिस रसोई की कभी मैं मालकिन थी अब उस रसोई में से खाना पूछकर खाना पड़ता है। मुझे क्यों समझ नहीं आया अचानक बेटे बहू को मेरा ख्याल कैसे आ गया?
उसके घर छोड़ते जाते समय बहू और बेटे का हंसता हुआ चेहरा उसे याद आ गया। उसकी आंखे छलक पड़ी। 

शाम के 7 बच गए थे दिल फिर भी मानने को तैयार नहीं था की उसका बेटा उसे ऐसे छोड़ सकता है। जैसे जैसे समय बीत रहा था दिल पर दिमाग हावी होता जा रहा था। 

मुन्ना के बापू के जाने के बाद उसने घर बेटे के नाम कर दिया था तो क्या गलत किया था। उसी का तो घर है लेकिन उसकी मां उसके लिए पराई कब हो गई। किसी दूसरे घर की बेटी को क्या दोष दूं जब अपना लड़का ही मां को बोझ समझ ले। किस्मत से हारी, थकी बेहाल उस बुढ़ी औरत को समझ ही नहीं आ रहा था की अब करे तो क्या करे। 

पुलिस वालों ने अपने लिए चाय मंगाई एक चाय उसे भी दी। तभी एक नवयुवक आया। पुलिस वाले उसे राधे नाम से बुला रहे थे। उसकी नजर उस वृद्धा पर नहीं पड़ी थी। 

राधे - आज भी कोई बेटा अपने मां या बाप को छोड़कर गया है क्या परिहास जी? 

पुलिस वालों ने उस वृद्धा की ओर इशारा कर दिया। 

राधे - अम्मा परेशान ना हो आप, मेरा नाम राधे है। मैं आश्रय नाम से बुजुर्ग लोगों के लिए घर चला रहा हूं आप वहां चल सकती हैं। 

अम्मा - धन्यवाद बेटा, लेकिन जब मेरे बेटे ने ही मुझे पाराया कर दिया तो अब तुम पर मैं बोझ नहीं बनना चाहती। 

राधे - बूढ़ों को बोझ समझने वाले ये क्यों नहीं सोचते की वो कोई अमरबेल खाकर नहीं आए वो भी तो कभी बूढ़े होंगे। अम्मा आप मुझ पर बोझ नहीं हो सरकार की तरफ से भी मुझे मदद मिलती है घर को चलाने में। आप मेरे साथ चलों बहुत से हम उम्र मिलेंगे आपको वहां।
अम्मा - नहीं बेटा बूढ़ी जरूर हुई पर मजबूर नहीं। 

राधे - अम्मा तो तुम जाओगी कहां? 

अम्मा - जहां मुझे मेरे राम ले जाएंगे। 

पुलिस वालों ने कहा - अम्मा ऐसे तो हम तुम्हें नहीं जाने देंगे। घर का या किसी रिश्तेदार का पता दो तो तुम्हें वहां छुड़वा देंगे नहीं तो फिर आपको राधे के साथ ही जाना पड़ेगा। 

बूढ़ी औरत ने मन मे सोचा कि जब बेटे ने ही अपनी मां को इस हालत में अकेले छोड़ दिया तो किन रिश्तेदारों का नाम बताउं इन्हें? 

अम्मा - बेटा मेरी एक बहन है। उसका पता जैसे ही याद आ जाएगा तुम्हें बता दूंगी। 

उस बूढ़ी औरत ने झूठ बोल दिया अगर सच बोलती तो उसे राधे के साथ जाना पड़ता और स्वाभिमानी बुढ़िया को ये मंजूर नहीं था कि वो किसी की दया पर जिए। उसकी साड़ी में कुल 600 रू. बंधे थे। 500 का एक पूरा नोट और बाकी के छुट्टे। उसने 50 रू. निकालकर राधे को दिए और कहा, “बेटा मेरे खाने के लिए कुछ ले आओ शायद खाकर थोड़ा दिमाग चले और मैं अपनी बहन के घर का पता याद कर पाउं”। 

राधे चला गया और कुछ देर बाद पूड़ी सब्जी ले आया। बूढ़ी ने खाने के बाद कहा कि उसे शौच के लिए जाना है। राधे पुलिस वालों को बोलकर उन्हें एक मोबाइल टॉयलेट के पास ले गया। लाइन लगी थी वहां। 

अम्मा - बेटा मैं यहां बैठ जाती हूं तू कब तक खड़ा रहेगा मैं आ जाउंगी तू जा। 

राधे - नहीं अम्मा तुम इस भीड़ भाड़ में खो जाओगी। मैं उधर बैठ जाता हूं। तुम शौच होकर वहां आ जाना। 

अम्मा - ठीक है बेटा राधे कुछ दूरी पर जाकर बैठ गया। लाइन काफी लंबी थी वो अपने मोबाइल से किसी से बातें करने लगा। आधे घंटे बाद राधे वहां पहुंचा लेकिन वो बूढ़ी अम्मा वहां नहीं थी। लोगों से पूछने पर पता चला की वो काफी समय पहले चली गई। राधे ने कैंप की ओर तेजी से कदम बढ़ाए। कैंप पहुंचने पर देखा की वो वहां भी नहीं है। फिर उसने पुलिस वालों को सारी बात बताई। इतनी भीड़ में उस बूढ़ी को ढूंढ़ना आसान नही था।

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1 Comments
  • Unknown
    Unknown October 19, 2018 at 2:51 PM

    Nice work Mr.Arora

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